शुभ समाचार

लेखक: तम्मारेड्डी किरण
अनुवादक: बी. ब्युला

 

यही सुसमाचार है

परमेश्‍वर ने मनुष्य से बहुत प्रेम किया। मनुष्य स्वयं को अपने पापों से मुक्त न कर सका और इस कारण वह जीवित परमेश्वर के समक्ष नहीं जा सकता।बाइबल कहता है कि हमें प्रथम मनुष्य से पापमय स्वभाव विरासत में मिला है, और हम परमेश्वर की आज्ञाओं का पालन न करके पाप कर रहे है।पाप की मजदूरी मृत्यु है (शारीरिक मृत्यु और आध्यात्मिक मृत्यु) (आध्यात्मिक मृत्यु का अर्थ है कि मनुष्य कभी भी परमेश्वर के समक्ष नहीं जा पाएगा और उससे सदा घृणा करता रहेगा)।

परमेश्वर अनन्त, सदैव पवित्र,भला,सार्वभौम ,सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सर्वव्यापी, स्वयंभू है और वह अपनी सभी विशेषताओं में परिपूर्ण है।

परमेश्वर ने अपने वचन से इस सारी सृष्टि की रचना की, परन्तु केवल मनुष्य को उसने अपने स्वरूप में बनाया।उसने इस सृष्टि को बहुत अच्छा बनाया, लेकिन मनुष्य ने अपने पाप से इस पूरी सृष्टि में बुराई फैलाया।

परमेश्वर ने मनुष्य की इस दीन दशा को देखा, फिर भी उससे इतना प्रेम किया की उसने अपने एकलौते पुत्र येशु मसीह को, जो पाप रहित है एक कुंवारी के गर्भ से उत्पन्न करके इस संसार में भेजा। प्रभु यीशु मसीह ने एक पाप रहित जीवन जीते हुए परमेश्वर की व्यवस्था को पूरी तरह से निभाया, उसने हमें हमारे पापों से बचाने के लिए, परमेश्वर की धार्मिकता को पूरा करते हुए, हमारे स्थान पर हमारा दण्ड सहा, मारा गया, दफनाया गया और तीसरे दिन फिर से जी उठा।यही सुसमाचार है।

प्रभु यीशु मसीह ने कहा, "मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता"।

यदि हम इस सुसमाचार पर विश्वास करके, अपने पापों को मान कर उससे पश्चाताप के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करते है और उसकी कलीसिया में शामिल हो कर उसके अनुग्रह में बढ़ते है, तो अंतिम दिन पर जब इस सृष्टि का अंत होगा हम महिमामय शरीर के साथ, शारीरिक रूप से पुनर्जीवित हो जाएंगे, और हम प्रभु यीशु मसीह के समान, सदा के लिए परमेश्वर की उपस्थिति में रहेंगे।जहाँ न आँसू रहेगा न दुःख, नाहीं शाप रहेगा, नाहीं पाप और न मृत्यु रहेगी।

हे भाईयों और बहनों! कृपया इस सुसमाचार पर विश्वास करें और परमेश्वर की ओर मुड़ें, और उसके संगती में बड़े।

 

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