पुराने नियम में “यहोवा के दूत” का परिचय हमें पहली बार तब आता है जब हागर सारा से भाग जाती है (उत्पत्ति 16:6–13)।बाइबल में स्वर्गदूतों का ज़िक्र कई जगह है, लेकिन यह “यहोवा का दूत” कोई साधारण स्वर्गदूत नहीं है।क्योंकि स्वर्गदूत कभी खुद को परमेश्वर या यहोवा नहीं कहते, और वचनो में भी कहीं उन्हें परमेश्वर या यहोवा नहीं कहा गया — और ऐसा करना निंदा माना जाएगा। इसी प्रकार वे परमेश्वर के योग्य महिमा को कभी स्वीकार नहीं करते (इस विषय पर अंत में चर्चा होगी)। लेकिन “यहोवा का दूत” हर बार परमेश्वर के सामन उसी नाम से दिखाई देता है, लोग उसे परमेश्वर मानते हैं, और वचन भी उसे परमेश्वर और यहोवा कहता है।क्योंकि वह वास्तव में परमेश्वर ही है — वह प्रभु यीशु मसीह है, जो पिता के साथ “यहोवा” नाम को धारण करता है।इस विषय को स्पष्ट करने के लिए, पहले मैं वे वचन दिखाऊँगा जहाँ “यहोवा के दूत” को स्पष्ट रूप से परमेश्वर कहा गया है; फिर, इस पर उठाई जाने वाली आपत्तियों और गलतफहमियों का उत्तर दूँगा; और अंत में सिद्ध करूँगा कि वह प्रभु यीशु मसीह ही हैं।
बाइबल स्पष्ट रूप से बताती है कि केवल एक ही परमेश्वर है। हालाँकि, उस एक परमेश्वर की पूर्ण दिव्यता के नामो को , गुण और कार्यो को, तीन व्यक्तियों - पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा, में समान रूप से बताया गया है। "त्रिएकत्व सिद्धांत" वह शिक्षा हैं जो इस सत्य से समझौता किए बिना कि परमेश्वर एक है, इन तीन व्यक्तियों की पूर्ण दिव्यता को स्वीकार करती है।
परमेश्वर एक है; लेकिन यह एक परमेश्वर तीन व्यक्तियों के रूप में विद्यमान है। इसका अर्थ यह नहीं है कि एक व्यक्ति में तीन अलग-अलग परमेश्वर हैं; इसका यह भी अर्थ नहीं है कि तीन अलग-अलग व्यक्ति मिलकर एक परमेश्वर बनाते हैं, कि यदि उस परमेश्वर को तीन भागों में विभाजित किया जाए, तो प्रत्येक व्यक्ति तीनों का एक भाग है, और यदि तीनों को एक साथ रखा जाए, तो पूरा परमेश्वर बन जाता है। पिता पूर्ण रूप से परमेश्वर है, पुत्र पूर्ण रूप से परमेश्वर है, और पवित्र आत्मा भी पूर्ण रूप से परमेश्वर है, फिर भी वे मिलकर तीन परमेश्वर नहीं बनाते हैं, बल्कि एक ही परमेश्वर हैं।
© 2024. इस वेबसाइट के सभी अधिकार biblepravakta.com के हैं।