आज के कई करोड़पति और विनिर्माणकर्ता में नाम बनाने वाले बहुत से लोग ने अपना जीवन गरीबी में शुरू किया हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं सर टाइटस साल्ट (Sir Titus Salt) । उन्होंने अपना जीवन इंग्लैंड की एक फैक्ट्री में बाल मजदूर के रूप में शुरू किया। टाइटस अपने कड़ी मेहनत करने की इच्छा, दिमागी तेज़पन से मोटे ऊन (Coarse Wool) को गुणवत्ता में बदलने की प्रक्रिया का आविष्कार किया। इसके माध्यम से वह एक बड़े विनिर्माणकर्ता बन गये और रूस से आयातित मोटे ऊन को गुणवत्ता में परिवर्तित करके लाखों पाउंड कमाए। टाइटस की जिज्ञासा यहीं रुक नहीं गई। दिन-रात मेहनत करके 'अल्पाका' (Alpaca) नामक एक और प्रक्रिया का आविष्कार कर वह विनिर्माण जगत के शिखर पर पहुंचे। करोड़ों-करोड़ों कमाने के बाद टाइटस साल्ट ने अपने नाम पर श्रमिकों के लिए एक आदर्श औद्योगिक नगर बनाई। वही अब "साल्टेयर" शहर के नाम से जाना जाता है, जिसके बाद वह संसद के लिए चुने गए। उनकी खोजें और प्रगतिशील विचार उद्योगों के विकास में इतनी सहायक थीं इसलिए महारानी विक्टोरिया ने उन्हें "सर" की उपाधि दी और "बैरन" की उपाधि से सम्मानित किया।
ऐसी वैभव हासिल करने के बाद क्या सर टाइटस साल्ट को सच्ची ख़ुशी मिली? जैसा कि महान बुद्धिमान व्यक्ति सुलैमान ने कहा "न तो आँखें देखने से तृप्त होती हैं, और न कान सुनने से भरते हैं।" (सभोपदेशक 1:8) यह करोड़पति भी मन की कोई खुशी या संतुष्टि के बिना था। धन के वजह से प्राप्त सारे सुख भोगने के बाद भी, और देश-देश के सारे मनोरंजन देखने के बाद भी हृदय सूखे रेगिस्तान के समान था। मन के शांत के बिना टाइटस साल्ट शोक संतप्त था।
इस बीच, एक रविवार को चर्च में टाइटस ने उपदेशक को कम्बल कीड़ा के बारे में बात करते हुए सुना। उपदेशक ने कहा, 'सजावट के लिए, मैंने अपने बगीचे में कुछ छड़ियाँ गाड़ दीं और उन्हें अलग-अलग रंगों में रंग दिया। एक दिन एक कम्बल कीड़ा तेजी से आया और एक रंगीन छड़ि पर चढ़ गया और कुछ खाने के उम्मीद में इधर उधर देखा। आँखों के लिए बहुत सुंदर होने के कारण कीड़ा अपेक्षित था कि बेहतर भोजन वह अवश्य मिलेगा पर उसे कुछ नहीं मिला.। निराश हो कर कीड़ा नीचे आया और उसे एक और सुंदर छड़ी नज़र आया। कम से कम इस बार उम्मीद पूरी होगी सोच कर ऊपर चढ़कर देखा लेकिन आँखों को भ्रम करने वाले रंग के अलावा वह कुछ भी नहीं था। उसी प्रकार उस कीड़े को बगीचे में अलग-अलग रंग के छड़ि पर चढ़ने की कोशिश के बाद हर बार निराशा ही हाथ लगी। इस दुनिया में रंग लगाये कई छड़ियाँ हैं। धन, यश, आराम, मनोरंजन, अधिकार आदि जैसी रंगीन छाड़ियाँ इंसानों को आशा से आकर्षित कर रही हैं। उम्मीद के साथ अन्य क्षेत्रों में चाहे कितना भी ऊपर चला जाए, न हृदय में संतुष्टि है और न मन को विश्राम। उन्होंने यह कहकर निष्कर्ष की ‘क्योंकि वे सभी रंगीन छड़ियाँ हैं' ।
अगले दिन कोई उपदेशक के घर का दरवाज़ा खटखटा रहा था। दरवाजा खोलते ही माननीय टाइटस खड़ा था। टाइटस ने उपदेशक से कहा 'महोदय, मैं रात कि आपकी सभा में हाज़िर हुआ। में भी रंगीन छाड़ियों पर चढ़ते और उतरते प्रयास कर रहा हूँ। मेरे मन को वास्तविक विश्रांति कैसे मिलेगा क्या आप समझा सकते है?' उसने पूछा। तब उपदेशक “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूँगा। " कहके जीवन के रेगिस्तानी सफर में थक कर चूर हो चुके इंसानों को प्यार से बुलानेवाले उद्धारकर्ता यीशु मसीह के बारे में बताया।
मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है। उस में असाध्य रोग लगा है; (यिर्मयाह 17 :9)। वह रोग पाप है। जब तक वह हृदय से निकल नहीं जाता तब तक वास्तविक ख़ुशी नहीं होगा।"जब तक लहूं न बहाया जाए, पापों की क्षमा नहीं होगा” “परमेश्वर के पुत्र येशु मसीह का लहूं सभी पापों से हमें शुद्ध करता है" (1 यूहन्ना 1:9)। टाइटस ने अपने पापों को स्वीकार किया और अपने हृदय में उद्धारकर्ता यीशु पर विश्वास किया। विश्वास करनेवाले उसके हृदय में प्रभु यीशु ने प्रवेश किया और पाप को धो कर हृदय को पवित्र बनाया। पाप का बोझ (पीड़ा) हटाकर "वर्णनातीत आनंद/आनंद अवर्णनीय" उसे अनुग्रह किया। वह करोड़पति जीवन में पहली बार मन कि शांति, दिव्य ख़ुशी पाकर इस प्रकार प्रशंसा की:
"मेरे हाल में, मेरे पास आकर येशु
हाथ फैलाकर गले लगाया -
छुटकारा न होने वाले पापों का बोझ हटा कर
ह्रदय में फैले कीचड़ को धो कर
पाया में स्वर्गीय आनंद"
प्रियमित्र, क्या आप भी सच्ची संतुष्टि न देनेवाली रंगीन छड़ियों पर चढ़ रहे हो? क्या आप परमेश्वर से दूर समय बिताते हो और इस दुनिया के मायाजाल में बटक रहे हो? लेखन यही चेतावनी देते हैं।
"हे जवान, अपनी जवानी में आनन्द मना। अपनी इच्छा के अनुसार और अपनी आंखों की इच्छा के अनुसार व्यवहार कर। परन्तु इन सब बातों के लिये परमेश्वर तुझे दण्ड देगा" (सभोपदेशक 11:9)।
टाइटस की तरह येशु मसीह पर ह्रदय से विश्वास रख, उसे उद्धारकर्ता मान उसका आश्रय कर। पापों की क्षमा, आत्म-सुरक्षा और ह्रदय की शांति तू पायेगा।
एक महान राजा (दाऊद) ने कहा, "क्या ही धन्य है, वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो।" (भजन 32:1)
" प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास रख, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा। " (प्रेरितों 16:31)।
"देख, अब उपयुक्त समय है, और देखो, उद्धार का दिन है" (2 कुरिन्थियों 6:2)
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इसमें प्रयुक्त सभी बाइबिल वचन बाइबिल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित पवित्रग्रंथ से उपयोग किये गये हैं।